तैमूर लंग भी चंगेज खान जैसा शासक बनना चाहता था। सन् 1369 ईस्वी में वह समरकंद का शासक बना। उसके बाद उसने अपनी विजय और क्रूरता की यात्रा शुरू की। मध्य एशिया के मंगोल लोग इस बीच में मुसलमान हो चुके थे और तैमूर खुद भी मुसलमान था।क्रूरता के मामले में वह चंगेज खान की तरह ही था। कहते हैं ‍कि एक जगह उसने दो हजार जिंदा आदमियों की एक मीनार बनवाई और उन्हें ईंट और गारे में चुनवा दिया।
 
जब तैमूर ने भारत पर आक्रमण किया, तब उत्तर भारत में तुगलक वंश का राज था। 1399 में तैमूर लंग द्वारा दिल्ली पर आक्रमण के साथ ही तुगलक साम्राज्य का अंत माना जाना चाहिए। तैमूर मंगोलों की फौज लेकर आया तो उसका कोई कड़ा मुकाबला नहीं हुआ और वह कत्लेआम करता हुआ मजे के साथ आगे बढ़ता गया।
 
तैमूर के आक्रमण के समय वक्त हिन्दू और मुसलमान दोनों ने मिलकर जौहर की राजपूती रस्म अदा की थी यानी युद्ध में लड़ते-लड़ते मर जाने के लिए बाहर निकल पड़े थे। दिल्ली में वह 15 दिन रहा और उसने इस बड़े शहर को कसाईखाना बना दिया। बाद में कश्मीर को लूटता हुआ वह समरकंद वापस लौट गया। तैमूर के जाने के बाद दिल्ली मुर्दों का शहर रह गया था।

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