अहिरावण का  सेवक था मकरध्वज । मकरध्वज को अहिरावण ने पाताल पुरी का रक्षक नियुक्त कर दिया था|पवनपुत्र हनुमानजी बाल ब्रह्मचारी थे तब कैसे कोई उनका पुत्र हो सकता है? वाल्मीकि रामायण के अनुसार उनके पुत्र की कथा हनुमानजी के लंकादहन से जुड़ी है। 

हनुमानजी की ही तरह मकरध्वज भी वीर, प्रतापी, पराक्रमी और महाबली थे। हनुमानजी ने अहिरावण का वध कर प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण को मुक्त कराया और मकरध्वज को पाताल लोक का अधिपति नियुक्त करते हुए उसे धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी थी।

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