कस्तुरी तिलकम ललाटपटले, वक्षस्थले कौस्तुभम।
 
नासाग्रे वरमौक्तिकम करतले, वेणु करे कंकणम।।

 
सर्वांगे हरिचन्दनम सुललितम, कंठे च मुक्तावलि।
 
गोपस्त्री परिवेश्तिथो विजयते, गोपाल चूडामणी।।
 
 
 
मूकं करोति वाचालं पंगुं लंघयते गिरिम्‌।
 
यत्कृपा तमहं वन्दे परमानन्द माधवम्‌।।

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