ओड़िशा की मदर टेरेसा कहलाई जाने वाली पारबती १६ साल की उम्र में स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा बनी | दो बार जेल भी गयी क्यूंकि वह महात्मा गाँधी के भारत छोड़ अन्दोलान् में सक्रीय रूप से भाग ले रही थी | आज़ादी के बाद भी उन्होनें देश के लिए काम करना न छोड़ा और पैकमल गाँव में एक अनाथाश्रम खोल बच्चों की सेवा में जिंदगी व्यतीत की | 

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