जब ब्रह्मा ने विश्व की रचना की तो भूमि देवी उनके पास गाय के रूप में आई | उन्होनें बताया की कैसे उन्हें अच्छाई और बुराई के बीच संतुलन बनाना सीखना है |ब्रह्मा ने उन्हें बताया की हर युग के बीतने के साथ बुराई का वर्चस्व बढ़ता जाएगा |

उन्होनें बताया की सतयुग में अच्छाई की  बुराई के ऊपर जीत बनी रहेगी इसलिए भूमि देवी अपने चारों पैरों पर खड़ी रहेंगी |त्रेता युग में बुराई की अहमियत बढ़ेगी और इस बोझ से भूमि को एक पैर  त्यागना पड़ेगा |द्वापर में पृथ्वी बुराई के बोझ से और दब कर दो पैरों पर ही खड़ी रह पायेगी |कलि युग वो समय है जब बुराई अपनी चरम सीमा पर होगी और एक देत्य का रूप ले वह धरती माँ के बाकी दो पैर काट देगी | 

इससे विश्व के उस रूप का भी पता चलता है जब बुराई और अच्छाई इतने मिश्रित हो जाते हैं की उन्हें अलग करना संभव नहीं होता है |


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