ऐसा माना जाता है की ये मंदिर एक जागृत देवस्थान है मतलब इस मंदिर के भगवान मंदिर में ही बसते हैं | यहाँ पर जो मूर्ति निकली है वह स्वयंभू है जो पृथ्वी से एक काले पत्थर के रूप में खुद बाहर आई थी |किसी को नहीं मालूम की इसका काल क्या है लेकिन ऐसा बताया जाता है की ये स्वयंभू मूर्ति स्थानीय चरवाहों को मिली थी | ऐसा बताया जाता है की ये कलि युग की शुरुआत की बात है | इस गाँव में एक डाक खाना और श्री शनिश्वर विद्या मंदिर नाम का एक विद्यालय है |

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