राय ने बांग्ला भाषा के बाल-साहित्य में दो लोकप्रिय चरित्रों की रचना की — गुप्तचर फेलुदा (ফেলুদা) और वैज्ञानिक प्रोफ़ेसर शंकु। इन्होंने कई लघु-कथाएँ भी लिखीं, जो बारह-बारह कहानियों के संकलन में प्रकाशित होती थीं और सदा उनके नाम में बारह से संबंधित शब्दों का खेल रहता था। उदाहरण के लिए एकेर पिठे दुइ (একের পিঠে দুই, एक के ऊपर दो)। राय को पहेलियों और बहुअर्थी शब्दों के खेल से बहुत प्रेम था। इसे इनकी कहानियों में भी देखा जा सकता है – फेलुदा को अक्सर मामले की तह तक जाने के लिए पहेलियाँ सुलझानी पड़ती हैं। शर्लक होम्स और डॉक्टर वाटसन की तरह फेलुदा की कहानियों का वर्णन उसका चचेरा भाई तोपसे करता है। प्रोफेसर शंकु की विज्ञानकथाएँ एक दैनन्दिनी के रूप में हैं जो शंकु के अचानक गायब हो जाने के बाद मिलती है। राय ने इन कहानियों में अज्ञात और रोमांचक तत्वों को भीतर तक टटोला है, जो उनकी फ़िल्मों में नहीं देखने को मिलता है।इनकी लगभग सभी कहानियाँ हिन्दी, अंग्रेजी और अन्य भाषाओं में अनूदित हो चुकी हैं।
राय के लगभग सभी कथानक भी बांग्ला भाषा में साहित्यिक पत्रिका एकशान (একশান) में प्रकाशित हो चुके हैं। राय ने 1982 में आत्मकथा लिखी जखन छोटो छिलम (जब मैं छोटा था)। इसके अतिरिक्त इन्होंने फ़िल्मों के विषय पर कई पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें से प्रमुख है आवर फ़िल्म्स, देयर फ़िल्म्स (Our Films, Their Films, हमारी फ़िल्में, उनकी फ़िल्में)। 1976 में प्रकाशित इस पुस्तक में राय की लिखी आलोचनाओं का संकलन है। इसके पहले भाग में भारतीय सिनेमा का विवरण है और दूसरा भाग हॉलीवुड पर केन्द्रित है। राय ने चार्ली चैपलिन और अकीरा कुरोसावा जैसे निर्देशकों और इतालवी नवयथार्थवाद जैसे विषयों पर विशेष ध्यान दिया है। 1976 में ही इन्होंने एक और पुस्तक प्रकाशित की — विषय चलचित्र (বিষয় চলচ্চিত্র) जिसमें सिनेमा के विभिन्न पहलुओं पर इनके चिंतन का संक्षिप्त विवरण है। इसके अतिरिक्त इनकी एक और पुस्तक एकेई बोले शूटिंग (একেই বলে শুটিং, इसको शूटिंग कहते है) (1979) और फ़िल्मों पर अन्य निबंध भी प्रकाशित हुए हैं।
राय ने बेतुकी कविताओं का एक संकलन तोड़ाय बाँधा घोड़ार डिम (তোড়ায় বাঁধা ঘোড়ার ডিম, घोड़े के अण्डों का गुच्छा) भी लिखा है, जिसमें लुइस कैरल की कविता जैबरवॉकी का अनुवाद भी शामिल है। इन्होंने बांग्ला में मुल्ला नसरुद्दीन की कहानियों का संकलन भी प्रकाशित किया।