साधो, ऐसिइ आयु सिरानी ।
लगत न लाज लजावत संतन, करतहिं दंभ छदंभ बिहानी ॥१॥
माला हाथ ललित तुलसी गर, अँग-अँग भगवत छाप सुहानी ।
बाहिर परम बिराग भजनरत, अंतस मति पर-जुबति नसानी ॥२॥
सुखसों ग्यान-ध्यान बरनत बहु, कानन रति नित बिषय कहानी 
ललितकिसोरी कृपा करौ हरि, हरि संताप सुहृद, सुखदानी ॥३॥
 

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