जरासी बात पर जो अक्सर नाराज होते है,
रुसवा भर दिल में जो खुद ख़ामोश होते है ।
किसीके रातों की नींद हराम कर देते है और
ख़ुद रातभर चैन की नींद आराम से सोते है ।

बात बिना समझे तुम नतीज़े पर पोहचते हो
सीधी सी बात को भी उलझन में बदलते हो ।
हा इन्ह उलझन को मैं समझ नही पाता हूँ ।
सवालों के बवंडर में मैं अक्सर खो जाता हूँ ।

किसी का दर्द मै समझ नही पाता ये मानते हो,
जरा बता दो तुम मेरे बारे में कितना जानते हो ।
अफसोस तुम्हारे खामोशी का मुझे नही है कभी
मतलब निकालना तो दुनिया में जानते है सभी ।

रिश्तों की एहमियत तो अच्छे से जानते हो तुम,
कहते हो की मेरा दर्द भी अपना मानते हो तुम ।
फिर हर बार हमदर्दी जताकर क्यों लौट जाते हो
मुश्किलों में साथ देना क्या कभी जानते हो ।

ये तो पता है की मुझे कोई खोना नही चाहता ।
पर सच ये भी है मेरा कोई होना नही चाहता ।

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