आनन्दमठ

संन्यासी आंदोलन और बंगाल अकाल की पृष्ठभूमि पर लिखी गई बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय की कालजयी कृति आनन्दमठ सन 1882 ई. में छप कर आई। इस उपन्यास की क्रांतिकारी विचारधारा ने सामाजिक व राजनीतिक चेतना को जागृत करने का काम किया। इसी उपन्यास के एक गीत वंदेमातरम को बाद में राष्ट्रगीत का दर्जा प्राप्त हुआ।आनन्दमठ में जिस काल खंड का वर्णन किया गया है वह हन्टर की ऐतिहासिक कृति एन्नल ऑफ रूरल बंगाल, ग्लेग की मेम्वाइर ऑफ द लाइफ ऑफ वारेन हेस्टिंग्स और उस समय के ऐतिहासिक दस्तावेज में शामिल तथ्यों में काफी समानता है।

बंकिम चंद्र चट्टोपाध्यायबंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय (१८३८ - १८९४) बंगला के प्रख्यात उपन्यासकार, कवि, गद्यकार और पत्रकार थे। भारत के राष्ट्रीय गीत 'वन्दे मातरम् उनकी ही रचना है जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के काल में क्रान्तिकारियों का प्रेरणास्रोत बन गया था। रवीन्द्रनाथ ठाकुर के पूर्ववर्ती बांग्ला साहित्यकारों में उनका अन्यतम स्थान है।
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