एक अंग्रेजी संपादकीय कार्टूनिस्ट ने आयरिश की कल्पना फ्रैंकनस्टाइन के दैत्य के समान की; पंच के 1843 के अंक से चित्र

फ्रैंकनस्टाइन अपने द्वारा बनाए गए दैत्य से नाखुश था, इस तथ्य से स्थापित होता है कि उसने उसे कोई नाम नहीं दिया और इस वजह से उसकी कोई पहचान नहीं थी। बजाए इसके, फ्रैंकनस्टाइन ने उसका ज़िक्र करने के लिए "दैत्य", "राक्षस", "दुष्ट", "कमीना" और "वह" जैसे शब्दों का प्रयोग किया। जब 10वें अध्याय में फ्रैंकनस्टाइन दैत्य से बातचीत करता है तो वह उसे "घिनौना कीड़ा", "घृणित दैत्य", "दुष्ट", "कमीना शैतान" और "घृणित शैतान" जैसे अपशब्दों से संबोधित करता है।

फ्रैंकनस्टाइन के बारे में बताते हुए शेली ने उस दैत्य को "आदम" नाम से भी संबोधित किया। शेली ने इडन का बागीचा में पहले इंसान का हवाला देते हुए अपने पुरालेख में कहा:

Did I request thee, Maker from my clay
To mould Me man? Did I solicit thee
From darkness to promote me?

जॉन मिल्टन पेराडाइस लॉस्ट (X.743-5)

दैत्य को अक्सर "फ्रैंकनस्टाइन" कहा जाता है, जो बिल्कुल गलत है। 1908 में एक लेखक ने कहा था "ये बहुत अजीब बात है कि "फ्रैंकनस्टाइन" शब्द का इस्तेमाल दुनियाभर में गलत तरीके से किया जाता है, इसमें विद्वान लोग भी शामिल हैं, ये किसी भयानक दैत्य का वर्णन करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।.." 1916 में छपे एडिथ वॉर्टन के द रीफ में एक उपद्रवी बच्चे को "नन्हा फ्रैंकनस्टाइन" कहा गया। 12 जून 1844 में द रोवर में प्रकाशित डेविड लिंड्से के "द ब्राइडल ऑर्नामेंट" में "गरीब फ्रैंकनस्टाइन के सृजनकर्ता" का ज़िक्र है। 1931 में आई जेम्स वेल्स की मशहूर फिल्म फ्रैंकनस्टाइन देखने के बाद दर्शक दैत्य को ही "फ्रैंग्कंस्टीन" कहने लगे. यह सिलसिला ब्राइड ऑफ फ्रैंकनस्टाइन (1935) और इस श्रृंखला की दूसरी फिल्मों में भी जारी रहा, कई फिल्मों के नामों तक में भी इसका गलत इस्तेमाल हुआ जैसे कि एबट एंड कोस्टेलो मीट फ्रैंकनस्टाइन |

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