16 शुक्रवार का व्रत करने के बाद, अंतिम शुक्रवार को व्रत का उद्यापन करना चाहिए। इसके लिए उपरोक्त विधि से माता संतोषी की पूजा कर 8 लड़कों को भोजन के लिए आमंत्रित करें। अढ़ाई सेर आटे का खाजा, अढ़ाई सेर चावल की खीर तथा अढ़ाई सेर चने के साग का भोजन पकाना चाहिए। यह भोजन बालकों को बहुत ही श्रद्धा व प्यार से कराएं, तथा केले का प्रसाद दें। भोजन के पश्चात् उन्हें यथाशक्ति दक्षिणा दें। दक्षिणा में उन्हें पैसे न देकर कोई वस्तु दक्षिणा में दे कर विदा करें। इस प्रकार विधि-विधान से पूजन करने से माता प्रसन्न होकर अपने भक्तों के दुःख दारिद्रय को दूर कर, उनकी मनोकामनाएँ पूर्ण करती हैं।

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