भृगु संहिता से कहीं अधिक रहस्यमी ज्ञान है लाल किताब का। आप मानें या न मानें, लेकिन इसे पढ़कर यदि आप इसे समझ गए तो निश्‍चित ही आपका दिमाग पहले जैसा नहीं रहेगा। माना जाता है कि लाल किताब के ज्ञान को सबसे पहले अरुणदेव ने खोजा था जिसे अरुण संहिता कहा जाता है। फिर इस ज्ञान को रावण ने खोजा और इसके बारे में रावण ने लिखा था। फिर यह ज्ञान खो गया, लेकिन यह ज्ञान लोकपरंपराओं में जीवित रहा। कहते हैं कि आकाश से आकाशवाणी होती थी कि ऐसा करो तो जीवन में खुशहाली होगी। बुरा करोगे तो तुम्हारे लिए सजा तैयार करके रख दी गई है। हमने तुम्हारा सब कुछ अगला-पिछला हिसाब करके रखा है। उक्त तरह की आकाशवाणी को लोग मुखाग्र याद करके पीढ़ी दर पीढ़ी सुनाते थे। इस रहस्यमय विद्या को कुछ लोगों ने लिपिबद्ध कर लिया। जब 1939 को रूपचंद जोशी ने इसे लिखा था तो कहते हैं कि उनके पास हिमाचल से एक प्राचीन पांडुलिपि प्राप्त हुई थी तब उक्त पांडुलिपि का उन्होंने अनुवाद किया था।

इस किताब को मूल रूप से प्रारंभ में उर्दू और फारसी भाषा में लिखा गया था। इस कारण ज्योतिष के कई प्रचलित और स्थानीय शब्दों की जगह इसमें उर्दू-फारसी के शब्द शामिल हैं, जिससे इस किताब को समझने में आसानी नहीं होती। उर्दू में इसलिए लिखा गया क्योंकि उक्त काल में पंजाब में उर्दू और फारसी भाषा का ही ज्यादा प्रचलन था।

लाल किताब ज्योतिष की पारम्परिक प्राचीतम विद्या का ग्रंथ है। उक्त विद्या उत्तरांचल और हिमाचल क्षेत्र से हिमालय के सुदूर इलाके तक फैली थी। बाद में इसका प्रचलन पंजाब से अफगानिस्तान के इलाके तक फैल गया। उक्त विद्या के जानकार लोगों ने इसे पीढ़ी दर पीढ़ी सम्भाल कर रखा था। बाद में अंग्रेजों के काल में इस विद्या के बिखरे सूत्रों को इकट्ठा कर जालंधर निवासी पंडित रूपचंद जोशी ने सन् 1939 को 'लाल किताब के फरमान' नाम से एक किताब प्रकाशित की। इस किताब के कुल 383 पृष्ठ थे।

लाल किताब ज्योतिष की पारम्परिक प्राचीतम विद्या का ग्रंथ है। उक्त विद्या उत्तरांचल और हिमाचल क्षेत्र से हिमालय के सुदूर इलाके तक फैली थी। बाद में इसका प्रचलन पंजाब से अफगानिस्तान के इलाके तक फैल गया। उक्त विद्या के जानकार लोगों ने इसे पीढ़ी दर पीढ़ी सम्भाल कर रखा था। बाद में अंग्रेजों के काल में इस विद्या के बिखरे सूत्रों को इकट्ठा कर जालंधर निवासी पंडित रूपचंद जोशी ने सन् 1939 को 'लाल किताब के फरमान' नाम से एक किताब प्रकाशित की। इस किताब के कुल 383 पृष्ठ थे।

Please join our telegram group for more such stories and updates.telegram channel