<p dir="ltr">वह शीत ऋतु की बेला थी<br>
जब माँ के आंचल में वो आई थी...<br>
कुछ डरी हुई कुछ सहमी सी<br>
कुछ आँख खोल सकुचाई थी...</p>
<p dir="ltr">जब बड़ी बड़ी आँखों से उस<br>
नन्ही ने दुनिया देखी थी..<br>
माँ की थी पहचान महज<br>
बाकि दुनिया अनदेखी थी..</p>
<p dir="ltr">उन छोटे छोटे हाथों मे<br>
मानो ब्रह्माण्ड सिमट आया...<br>
उसके होठो की लाली पर<br>
जैसे गुलाब भी शर्माया...</p>
<p dir="ltr">लेकर उसका मुखड़ा हाथो में<br>
दुनिया की दौलत पाई है...<br>
म्हारी छोरी म्हारी दुनिया<br>
बनकर दुनिया में आई है.....।।<br>
</p>
जब माँ के आंचल में वो आई थी...<br>
कुछ डरी हुई कुछ सहमी सी<br>
कुछ आँख खोल सकुचाई थी...</p>
<p dir="ltr">जब बड़ी बड़ी आँखों से उस<br>
नन्ही ने दुनिया देखी थी..<br>
माँ की थी पहचान महज<br>
बाकि दुनिया अनदेखी थी..</p>
<p dir="ltr">उन छोटे छोटे हाथों मे<br>
मानो ब्रह्माण्ड सिमट आया...<br>
उसके होठो की लाली पर<br>
जैसे गुलाब भी शर्माया...</p>
<p dir="ltr">लेकर उसका मुखड़ा हाथो में<br>
दुनिया की दौलत पाई है...<br>
म्हारी छोरी म्हारी दुनिया<br>
बनकर दुनिया में आई है.....।।<br>
</p>