दुर्वासा सिर्फ श्राप ही नहीं देते थे | कई ऐसे लोग हैं जिन्होनें दुर्वासा को अपनी सेवा भाव से प्रसन्न कर उनसे वरदान भी प्राप्त किये हैं | एक बार दुर्वासा कुंती के महल में आये है | कुंती जानती थी की वह कितनी जल्दी गुस्सा होते हैं इसलिए उन्होनें मन से दुर्वासा की सेवा की | जाते समय दुर्वासा ने उन्हें अथर्ववेद मन्त्र प्रदान किया जिससे वह किसी भी देवता का आह्वान कर सकती थी | कुंती ने मन्त्र को जांचने के लिए सूर्य देव का आह्वान किया जिससे उन्हें कर्ण की प्राप्ति हुई | कुंती ने उस समय तो कर्ण को बहा दिया लेकिन विवाह के पश्चात जब कुंती पांडू से संतान प्राप्त नहीं कर सकती थी तो उन्होनें इस मन्त्र की मदद से अपने पांच पुत्रो को अलग देवताओं का आह्वान कर प्राप्त किया |