जब पांडव वनवास में थे तो अर्जुन ने शिव भक्ति पाने के लिए तपस्या शुरू की | दुर्योधन को मालूम पड़ने पर उसने मूढ़ नाम के राक्षस को अर्जुन को मारने भेजा | वह शूकर रूप में वहां पहुंचा तो अर्जुन ने तीर से उसको मार गिराया | इतने में शिव किरात रूप में आये और उन्होनें भी अपना तीर उस शूकर को मार दिया | अब अर्जुन ये कहने लगे की उस दानव को उन्होनें मारा है और इसी बात पर उनकी और शिव की लड़ाई शुरू होगई | लेकिन जब अर्जुन तो सत्य पता चला तो वह शिव के चरणों में गिर गए और शिव ने उन्हें करवों पर विजयी होने का आशीर्वाद दे दिया |

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