देवव्रत जब सत्यवती को राजा शांतनु के पास लेकर जाते हैं तो उनकी प्रसन्नता का कोई ठिकाना नहीं रहता | वह उनसे कहते हैं की आज तुमने पिता भक्ति की मिसाल कायम कर दी | में तुम्हें इच्छा मृत्यु का वरदान देता हूँ | यही नहीं उन्हें देवव्रत को भीष्म नाम दे दिया और कहा आज से तुम्हारी इस प्रतिज्ञा को भीष्म प्रतिज्ञा नाम से ख्याति प्राप्त होगी |
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