ashwini rai
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बिहार - एक आईने की नजर से

यह पुस्तक बिहार के उस गौरवपुर्ड इतिहास को बखान करता है, जिसे आज के हम युवाओ ने भुला कर बिहार के नाम को मात्र एक आलोचनात्मक शब्द बना रखा है. बिहार के इतिहास के बिना भारत के इतिहास कि कल्पना भी नही कि जा सकती, तो ऐसा क्या हुवा जो स्वर्डिम इतिहास सिर्फ इतिहास बन कर हि रह गया गया ? यह पुस्तक बिहार के अतित पर जहा गर्व करना चाहती है वही उसके अंगो के नोचे जाने पर सिसकती भी है, चलिये हम भी उसके साथ कुछ कदम चलते हैं, कुछ गर्व करते हैं और कुछ……?

बिहार - एक आइने की नजर से

यह पुस्तक बिहार के उस गौरवपुर्ड इतिहास को बखान करता है, जिसे आज के हम युवाओ ने भुला कर बिहार के नाम को मात्र एक आलोचनात्मक शब्द बना रखा है. बिहार के इतिहास के बिना भारत के इतिहास कि कल्पना भी नही कि जा सकती, तो ऐसा क्या हुवा जो स्वर्डिम इतिहास सिर्फ इतिहास बन कर हि रह गया गया ? यह पुस्तक पुस्तक बिहार के अतित पर जहा गर्व करना चाहती है वही उसके अंगो के नोचे जाने पर सिसकती भी है, चलिये हम भी उसके साथ कुछ कदम चलते हैं, कुछ गर्व करते हैं और कुछ......?