(क्युँकि हर सपना सच नहीं होता)

काश!
एक अनोखा 
अद्भुत और चमत्कारी शब्द,
समेटे हो जैसे,
अपने भीतर विशाल सागर,
तैर रही है जिसमें स्वप्नों की नौकाएं,
विडम्बना…
कितने ही काश
उड़ रहे हैं आकाश,                    
अदृश्य विलुप्त 
और,
अनगिनत काश! 

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